Cancer: इंसानों में होने वाली सबसे डरावनी बीमारी | How to be Safe?

कभी शराब नहीं पी कभी सिगरेट नहीं पी लेकिन फिर भी कैंसर हो गया ?

कभी शराब नहीं पी कभी सिगरेट नहीं पी लेकिन फिर भी कैंसर हो गया ऐसा कैसे हो सकता है कैंसर को बेहतर समझने के लिए हमें इंसानों की बॉडी के अंदर मौजूद सेल्स को समझना होगा हर दिन 330 बिलियन सेल्स हमारी बॉडी के अंदर मरते हैं और नए जन्म लेते हैं Cancer: इंसानों में होने वाली सबसे डरावनी बीमारी | How to be Safe? जब युवराज सिंह को कैंसर हुआ संजय दत्त को कैंसर हुआ तो कीमोथेरेपी कराते वक्त भी व एक्सरसाइज कर रहे थे इस लेवल का डेडिकेशन होना जरूरी है कैंसर से लड़ने के लिए दुनिया भर में करीब 42 पर कैंसर के केसेस प्रिवेंट टेबल है और ये वो पांच चीजें हैं जो आपको करनी है अगर आपको कैंसर से बचना है तो 

Tipe Of Cancer

नमस्कार दोस्तों कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका डर लोगों को शायद से सबसे ज्यादा सताता है क्वीन फिल्म में एक बड़ा जानामाना डायलॉग था जहां पर लीड कैरेक्टर रानी कहती हैं गुप्ता अंकल को ना कैंसर हो गया उन्होंने कभी शराब नहीं पी सिगरेट नहीं पी फिर भी कैंसर हो गया इससे अच्छा तो पी ही लेते गुप्ता अंकल ने कभी शराब सिगरेट नहीं पी लेकिन फिर भी उन्हें कैंसर हो गया इससे अच्छा तो वो पी ही लेते ओबवियसली एक कॉमेडी सीन था लेकिन बहुत से लोगों के दिमाग में यही बात एक्चुअली में होती है कई लोग किसी ऐसे इंसान को जरूर जानते हैं जिसने अपनी पूरी जिंदगी में ना कभी शराब पी ना कभी स्मोक किया लेकिन फिर भी उसे कैंसर हो गया.

Cancer: इंसानों में होने वाली सबसे डरावनी बीमारी | How to be Safe?

ऐसा कैसे हो सकता है दूसरी तरफ ऐसे भी कई इंसान हैं जिन्होंने जिंदगी भर स्मोक किया शराब पी लेकिन फिर भी उन्हें कैंसर नहीं हुआ सच बात ये है दोस्तों कि कैंसर अपने आप में एक बड़ा कॉम्प्लेक्शन के रिस्क बढ़ते हैं हैं जैसे कि लिवर कैंसर ब्रेस्ट कैंसर इसोफागस कैंसर और स्मोकिंग से लंग कैंसर माउथ कैंसर थ्रोट कैंसर और पैंक्रियास कैंसर जैसे 16 अलग-अलग कैंसर टाइप्स का रिस्क बढ़ता है लेकिन कैंसर सिर्फ 16 प्रकार के नहीं होते बल्कि 200 से ज्यादा अलग-अलग टाइप के कैंसर होते हैं डिपेंडिंग अपॉन ये हमारे शरीर में कहां से स्टार्ट होता है तो अल्कोहल और स्मोकिंग डेफिनेटली दो बड़े कारण है कैंसर के पीछे लेकिन इसके अलावा भी कैंसर के बहुत से कारण हैं क्या है यह कारण जिन्हें हटाकर आप अपने कैंसर होने का रि कम कर सकते हो एगजैक्टली ये बीमारी कैसे काम करती है और क्यों इंसानों के लिए इतनी हानिकारक होती है.

आइए कैंसर को गहराई से समझते हे

एक छोटा सा बच्चा हे उसके पेरेंट्स ने उसका रूटीन चेकअप करवाया तो पता चला कि हीमोग्लोबिन लेवल बहुत कम था एक टेस्ट से पता चला कि चिराग को थाली सेमिया मेजर नाम का एक ब्लड डिसऑर्डर इसकी वजह से बॉडी सही से हीमोग्लोबिन और हेल्दी रेड ब्लड सेल्स प्रोड्यूस नहीं कर पाती यानी कि जिंदगी भर चिराग को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ेगी इंडिया में हर साल करीब 10 से 15000 बच्चे थले सेमिया से ग्रसित पाए जाते हैं कोई हैरानी की बात नहीं है कि इंडिया को थैलेसीमिया कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड बुलाया जाता है ये एक इन्हेरिटेंस से कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है 2015 में ताइवान में एक स्टडी करी गई थी जिसने बताया कि जनरल पॉपुलेशन के मुकाबले थैलीसेमिया के पेशेंट्स में 52 पर ज्यादा कैंसर होता है हर तीन हफ्ते में जब चिराग को ट्रांसफ्यूजन के लिए अस्पताल ले जाया जाता तो व अपने पेरेंट से पूछता कि मेरे दोस्त तो हॉस्पिटल नहीं जाते मुझे ही क्यों ले जाया जा रहा है लेकिन जब चिराग सात आ साल का हुआ तो कुछ-कुछ उसे समझ आने लगा कि उसके साथ ही कोई इशू है जिसकी वजह से उसे हर तीन हफ्ते में हॉस्पिटल जाना पड़ता है एक दवाई के साथ चिराग उस ट्रांसफ्यूजन प्रोसीजर के साथ एडजस्ट करने लगा जब आईवी की लाइन उसे चुभती तो वो रोता भी नहीं था लेकिन दर्द पेरेंट्स को होता था फिर एक दिन एक डॉक्टर ने उन्हें DKMS के बारे में बताया जो stem cell registry हे

What Is stem cells ?

अब केंसल को समझने के लिए दोस्तों स्टेम सेल्स को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि स्म सेल्स और कैंसर का एक बहुत बड़ा लिंक है क्या होते हैं ये स्टेम सेल्स आप इनके नाम से थोड़ा अंदाजा लगा सकते हो स्टेम सेल्स ऐसे सेल्स जिनसे दूसरे सेल्स बनते हैं ये खुद को अलग-अलग प्रकार के सेल्स में बदल सकते हैं इसके साथ-साथ स्टेम सेल्स खुद को रेप्ट भी कर सकते हैं यही वो सेल्स हैं जिनसे ब्लड सेल्स बनते हैं स्किन सेल्स बनते हैं मसल सेल्स बनते हैं यही सेल्स डैमेज टिश्यू को रिपेयर भी कर सकते हैं और इसीलिए ब्लड कैंसर और ब्लड डिसऑर्डर के इलाज के लिए स्टेम सेल्स बहुत ही आवश्यक है प्रेगनेंसी की शुरुआत में जब एक फर्टिल लाड एग ब्लास्टो सिस्ट बनता है एक बहुत ही अर्ली स्टेज एंब्रियो की बच्चे बनने से पहले तो ब्लास्टो सिस्ट के अंदर जो स्टेम सेल्स पाए जाते हैं उन्हें एंब्रियो स्टेम सेल्स कहा जाता है और ये ऐसे सेल होते हैं जो बॉडी के किसी भी सेल का रूप ले सकते हैं लेकिन अनफॉर्चूनेटली जब इंसान बड़े होते हैं एडल्ट ह्यूमंस में कोई भी ऐसे स्टेम सेल नहीं होते जो किसी भी तरह के सेल में बदल सकते एडल्ट्स में स्टेम सेल्स जिन्हें सोमेटिक स्टेम सेल्स भी कहा जाता है वो शरीर के जिस टिश्यू या ऑर्गन में होते हैं उसी के हिसाब से वो डिफरेंशिएबल में जो स्टेम सेल्स हैं वो सिर्फ ब्रेन सेल्स में ही कन्वर्ट हो पाते हैं हमारी स्किन वाले जो स्टेम सेल्स हैं वो सिर्फ स्किन सेल्स ही बन पाते हैं और हमारे खून में जो ब्लड स्टेम सेल्स हैं वो अलग-अलग तरह के ब्लड सेल्स में ही कन्वर्ट हो पाते हैं ओवरऑल देखा जाए दोस्तों तो हमारी बॉडी में करीब 400 अलग-अलग टाइप के सेल्स होते हैं जैसे कि रेड ब्लड सेल्स वाइट ब्लड सेल्स नर्व सेल्स फैट सेल्स स्किन सेल्स

सितंबर 2023 में की गई रिसर्च

सितंबर 2023 में की गई इस रिसर्च को देखिए इसके अनुसार सभी सेल्स का जो टोटल नंबर है हमारी बॉडी में वो ट्रिलियंस में है एक छोटे बच्चे में 17 ट्रिलियन सेल्स होते हैं एक एवरेज एडल्ट फीमेल में 28 ट्रिलियन और एक एवरेज एडल्ट मेल में 36 ट्रिलियन यानी कि 36 लाख करोड़ सेल्स होते हैं हर रोज हमारी बॉडी में बिलियंस ऑफ सेल्स मरते रहते हैं और बिलियंस ऑफ सेल्स नए भी बनते रहते हैं स्पेसिफिकली कहा जाए तो 330 बिलियन सेल्स यानी कि हमारे शरीर में टोटल नंबर ऑफ सेल्स के करीबन 1 पर हर रोज रिप्लेस होते हैं फिलोसोफी के लिए कहावत है जो यहां पर कही जाती है कि आप आज सुबह जो इंसान थे अभी शाम को आप वो इंसान नहीं हो आप पल-पल बदलते रहते हो एक नदी की तरह यह बात हमारी बॉडी के कॉन्टेक्स्ट में लिटरली भी सच है और यह पल-पल बदलना सेल्स का दिन प्रतिदिन रीजन होना यह काम स्टेम सेल्स के द्वारा किया जाता है अलग-अलग टिशूज में जो रीजन होता है उस टिश्यू के स्टेम सेल के द्वारा किया जाता है लेकिन इस सब में एक ऑर्गन हमारी बॉडी का बहुत ही अनोखा है हमारी लिवर हमारी लिवर एक बहुत ही यूनिक ऑर्गन है क्योंकि वहां पर फुली डेवलप्ड फुली स्पेशलाइज्ड लिवर सेल्स भी डिवाइड होते हैं और अपनी संख्या को रैपिड बढ़ा सकते हैं यानी कि हमारी बॉडी में लिवर इकलौता ऑर्गन है जो छिपकली की पूंछ की तरह काम करता है छिपकली की पूंछ अगर काट दो तो वो दोबारा से ग्रो हो जाती है ऐसे ही हमारी लिवर का अगर 90 पर हिस्सा भी आप काट के फेंक दो तो दोबारा से ग्रो हो जाएगी हमारी लीवर लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लीवर खराब नहीं हो सकती अगर आप कहोगे कि बियर तो शराब है ही नहीं वाइन सेहत के लिए अच्छी होती है या फिर आप उन लोगों में से हो जो कहते हो कि मैं तो एक ही बारी में इतने शॉर्ट गटका जाता हूं अल्कोहल पीने से लीवर पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ता है और लिवर कैंसर का रिस्क भी बहुत बढ़ जाता है लेकिन सिर्फ अल्कोहल ही नहीं अगर आप जंक फूड खाते रहोगे अपना वेट बढ़ाते रहोगे हर्बल के नाम पर कुछ भी अपने शरीर में डालते रहोगे तो भी आपको लिवर प्रॉब्लम्स हो सकती हैं इंडिया में हर साल लगभग 270000 लोग मारे जाते हैं लिवर डिजीज की वजह से जो दुनिया की लिवर डिजीज रिलेटेड डेथ्स का 18.3 है लेकिन स्टेम सेल और रीजेनरेशन के टॉपिक पर वापस आए तो एक बात क्लियर करनी जरूरी है कि जो हमारी बॉडी में अलग-अलग टाइप के बॉडी सेल्स हैं उनका खुद को रिन्यू करने का रीजन करने का जो रेट है वो भी अलग-अलग होता है जैसे कि मई 2008 की इस मेजर स्टडी ने ने बताया कि हर साल बॉडी के 10 पर फैट सेल्स रिप्लेस होते हैं इसका मतलब बॉडी के अंदर सारे फैट सेल्स को रिप्लेस करने में करीब 10 साल का समय लगता है

एक बड़ा इंटरेस्टिंग साइड टॉपिक है यहां पर कि क्या हमारे ब्रेन सेल्स भी रीजन कर सकते हैं इस पर काफी समय से साइंटिफिक डिबेट रही है माना जाता है कि हमारे दिमाग में ज्यादातर न्यूरॉन्स हमारे बर्थ के समय तक ही बन जाते हैं करीब 100 बिलियन न्यूरॉन्स लेकिन रिसेंट रिसर्च ने इंडिकेट किया है कि एक लिमिटेड न्यूरोजेनेसिस यानी कि ब्रेन सेल्स का रीजन होना दिमाग के केवल दो हिस्सों में देखा गया है एक एक है हिप्पोकैंप जो हमारी मेमोरीज लर्निंग और इमोशंस में इवॉल्व होता है और दूसरा ऑल फैक्ट्री बल्ब जो स्मेल करने के लिए रिस्पांसिबल है इन हिप कंपस एंड इन द ट्रिक बल्ब देर आर टू रीजस वर न्यू न्यूरॉन्स आर मेड थ्रू आउट लाइफ दिमाग के दूसरे न्यूरॉन्स रीजन नहीं करते और जिंदगी भर वैसे ही बने रहते हैं और ब्रेन के अलावा स्पाइनल कॉर्ड हार्ट और जॉइंट्स में भी बहुत कम रीजेनरेटिव कैपेसिटी देखी गई है इसलिए अगर इन जगहों में आपको कोई बीमारी होती है या चोट लगती है तो वो बहुत-बहुत हानिकारक होती है लेकिन इसके अपोजिट कई ऐसे बॉडी सेल्स हैं जो बहुत फास्ट रीजेनरेशन करते हैं जिन्हें पूरा कंप्लीट ओवर हॉल करने में बहुत कम समय लगता है जैसे कि हमारे स्किन सेल्स हर रोज हमारी बॉडी 500 मिलियन स्किन सेल्स शेड करती है इसका मतलब पता है क्या कि हर चार हफ्ते में हमारी पूरी स्किन रीजन हो जाती है और चार हफ्ते भी फास्टेस्ट रीजेनरेशन टाइम नहीं है हमारी इंटेस्टाइन के अंदर की जो लाइनिंग है वो केवल पांच से 7 दिन में पूरी तरह रीजन मेट हो सकती है नए रेड ब्लड सेल्स एक सेकंड में दो-तीन मिलियन प्रोड्यूस हो सकते हैं इनका एवरेज लाइफ स्पैन सिर्फ 120 दिन का होता है स्टेम सेल्स में भी खुद को रेप्ट करने का और इसी तरीके से सेल्फ रिन्यूअल का पोटेंशियल होता है जरा सोच के देखो ये कितनी अमेजिंग बात है कि हमारा शरीर कैसे हमें कांस्टेंटली नया करने की कोशिश करते रहता है कांस्टेंटली नए सेल्स रीजन मेट करते रहता है यही कारण है कि अगर आप कहीं गिर जाते हैं खरोंच लग जाती है तो कोई बड़ी चीज नहीं क्योंकि आपकी स्किन सेल्स रीजन मेट हो जाते हैं अगर आप ब्लड डोनेट करते हैं अपना तो ब्लड वॉल्यूम यानी कि प्लाज्मा केवल 24 घंटे में रिस्टोर हो जाता है जितने ही रेड ब्लड सेल्स आपने किसी और को दिए चार से छह हफ्ते में वो वापस आ जाते हैं ये पूरा मामला है रिप्लेनिशमेंट का रिपेयर का और रीजन का लेकिन अगर ऐसा हो कि किसी सेल में जीन डैमेज हो जाए तो क्या होगा अगर आपको याद हो एवोल्यूशन वाले वीडियो में मैंने समझाया था कि डीएनए जीनस और जीन म्यूटेशंस क्या होती हैं जीन को एक तरह से प्रोग्राम की तरह समझ सकते हो जिनमें डिटेल सेट ऑफ इंस्ट्रक्शंस होती हैं सेल के लिए अगर सेल्स की जींस में कुछ बदलाव आ जाता है या कोई एरर आ जाता है तो इसे म्यूटेशन कहा जाता है और इस की वजह से सेल ग्रोथ डिस्टर्ब हो सकती है ऐसी सिचुएशन के लिए हमारी बॉडी के पास कुछ ऑप्शंस अवेलेबल होते हैं

कुछ मैकेनिज्म हमारी बॉडी के अंदर जो जीन डैमेज के खिलाफ फाइट करते हैं जैसे कि p53 ट्यूमर सुप्रेस जीन ये एक सिक्योरिटी गार्ड की तरह है ये वाली जीन जो प्रोटीन प्रोड्यूस करती है वो डैमेज्ड जीन को रिपेयर करने का काम कर सकता है इसी तरीके से एक जीन होती है जो फिल्टर की तरह काम करती है अगर कोई सेल बहुत पुराना या डैमेज्ड हो जाए तो जीन उसे मरने की इंस्ट्रक्शन दे देती है इस प्रोसेस को प्रोग्राम्ड सेल डेथ या अपॉप्टोसिस कहा जाता है सेल से वहां पर लिटरली कहा जा रहा है कि भाई तुम्हारा काम खत्म हो गया अब गायब हो जाओ यहां से दूसरी कुछ और जीनस हैं जो मैकेनिक की तरह काम करती हैं डैमेज जींस को रिपेयर करने का काम करती हैं तो मोटे-मोटे तौर पर देखा जाए अगर हमारे सेल्स में कोई डैमेज पहुंच रहा है तो हमारी बॉडी के पास सिक्योरिटी गार्ड जींस है फिल्टर जींस है मैकेनिक जींस है इन सबके द्वारा हमारे डैमेज्ड सेल्स को बढ़ने से रोका जा सकता है रिपेयर किया जा सकता है या उन्हें बॉडी से हटाया भी जा सकता है लेकिन सोचने वाली बात यह है कि तब क्या होगा अगर यह वाली जीनस ही अपने आप में डैमेज हो जाए तो ये सिक्योरिटी गार्ड फिल्टर और मैकेनिक ही डैमेज हो जाए फिर कौन इनके काम संभालेगा अनफॉर्चूनेटली कोई नहीं और ऐसी ही सिचुएशन को कैंसर कहा जाता है कैंसर कैंसर कैंसर र गोना क्यूर कैंसर म्यूटेशन की वजह से अगर किसी सेल की जीन डैमेज हो जाए और वो अनकंट्रोल्ड तरीके से ग्रो करने लगे फैलने लगे तो ऐसे सेल को कैंसर सेल बुलाया जाता है कैंसर सेल्स इतने आउट ऑफ कंट्रोल हो जाते हैं कि वह नॉर्मल हेल्दी सेल्स के रास्ते में भी रोड़ा अटका देते हैं इन कैंसर सेल्स में अक्सर यह भी का काबिलियत होती है कि यह दूसरे टिशूज को इफिल्टर कर सके यही कारण है कि कैंसर बॉडी के किसी एक हिस्से से शुरू होता है लेकिन धीरे-धीरे अगर उसे रोका ना गया तो बॉडी के और पार्ट्स में भी फैलने लग जाता है जब एक बॉडी पार्ट से आया कैंसर सेल बॉडी के दूसरे पार्ट्स में फैलने लगता है तो इस प्रोसेस को मेटास्टैसिस करके बुलाया जाता है हमारे शरीर की नॉर्मल फंक्शनिंग पूरी तरीके से डिपट हो जाती है इसकी वजह से ऐसे जीन डैमेजेस होने के पीछे एगजैक्टली क्या कारण होते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है इसकी बात एंड में करेंगे अभी बात करते हैं 

Best Health Tips
In today’s fast-paced world, staying healthy can often feel like an afterthought. However, prioritizing your well-being is crucial. That’s where the concept of Essential Health Tips for a Better Life
As we cross the 35-year mark, our skin undergoes natural changes that can sometimes leave us feeling less radiant than we'd like. Embracing these changes while actively working to rejuvenate .....RED MORE

ट्री ट्रीटमेंट

ट्री ट्रीटमेंट की कैंसर की सबसे फेमस ट्रीटमेंट होती है कीमोथेरेपी इन कैंसर सेल्स को खत्म किया जाना किसी पावरफुल केमिकल की मदद से इसी प्रोसेस को कीमोथेरेपी कहा जाता है इस प्रोसेस की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि ये पावरफुल केमिकल्स कैंसर सेल्स को तो मार देते हैं लेकिन साथ ही साथ कुछ अच्छे हेल्दी सेल्स को भी खत्म कर देते हैं कीमोथेरेपी के केमिकल्स उन सेल्स को टारगेट करते हैं जो डिवीजन के प्रोसेस के बीच में होते हैं तो जो भी फास्ट रीजेनरेटिंग हेल्दी सेल्स हैं बॉडी के कैंसर सेल्स के साथ-साथ उन पर भी हमला होता है यही कारण कि जो लोग की थेरेपी करा रहे होते हैं वो लोग अक्सर गंजे हो जाते हैं क्योंकि हमारे हेयर फॉलिकल सेल्स बड़े ही फास्ट री ग्रोइंग सेल्स हैं साथ ही साथ मैंने क्या कहा था हमारी इंटेस्टाइन के अंदर जो सेल्स हैं वो भी बड़ी जल्दी-जल्दी रिग्रोगिग होती हैं वोमिटिंग आती है डायरिया आता है इसके अलावा हमारे बोन मैरो सेल्स भी डिस्ट्रॉय हो जाते हैं बोन मैरो हमारी हड्डियों के अंदर पाया जाने वाला सॉफ्ट स्पंजी टिश्यू होता है एक होता है येलो बोन मैरो जहां ऐसे स्टेम सेल्स होते हैं जो फैट कार्टिलेज या बोन सेल्स बन जाते हैं दूसरा होता है रेड बोन मैरो जहां ब्लड स् सेल्स होते हैं जो रेड ब्लड सेल्स वाइट ब्लड सेल्स या प्लेटलेट्स बन जाते हैं तो क्योंकि मैंने कहा था हमारे ब्लड सेल्स भी बड़े फास्ट री ग्रोइंग सेल्स हैं तो कीमोथेरेपी की वजह से ये भी डैमेज हो जाते हैं रेड ब्लड सेल्स की कमी की वजह से एनीमिया हो सकता है हीमोग्लोबिन लेवल अक्सर नीचे गिर जाता है प्लेटलेट्स जो होते हैं वो ब्लड क्लॉटिंग में मदद करते हैं जब हमें चोट लगती है कहीं पे वंड आता है तो ये आकर उस वंड को हील करते हैं लेकिन अगर ये कम होंगे तो एक्सेसिव ब्लीडिंग होगी वंड में वाइट ब्लड सेल्स हमारी इम्युनिटी में मदद करते हैं अगर हमें सर्दी जुकाम हो गया तो उससे फाइट बैक करते हैं वो लेकिन कीमोथेरेपी की वजह से अगर वाइट ब्लड सेल्स कम होंगे तो बाकी और बीमारियों के होने के चांस भी बढ़ जाते हैं इसलिए डॉक्टर सजेस्ट करते हैं कीमोथेरेपी के दौरान बैलेंस्ड न्यूट्रीशिव्स पहनना है फूड हाइजीन की मदद से बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन से बचा जाए रेगुलर एक्सरसाइज करनी बहुत जरूरी हो जाती है बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त का जब कैंसर ट्रीटमेंट हुआ था तो उनकी ऑंकोलॉजिस्ट डॉक्टर सेवंती रिमाई ने बताया कि कीमोथेरेपी वाले दिन पर भी वो ट्रेडमिल पर दिखते थे एक घंटा एक्सरसाइज करते थे शायद यही कारण कि आज वोह इतने अच्छे से रिकवर कर पाए हैं अब मान लीजिए कीमोथेरेपी से कैंसर सेल्स तो खत्म हो गए लेकिन सवाल आता है कि अब जो हेल्दी ब्लड सेल्स डिस्ट्रॉय हुए हैं

उन्हें कैसे रिस्टोर किया जाए इसके लिए किया जाता है स्टेम सेल ट्रांसप्लांट जिसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है ये ब्लड कैंसर और ब्लड डिसऑर्डर पेशेंट्स के लिए एक ट्रीटमेंट का ऑप्शन होता है कुछ केसेस में इंसान के खुद के कुछ हेल्दी स्टेम सेल्स ही उसको दिए जा सकते हैं ऐसे केस में इसे कहा जाता है ऑटोलस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट पेशेंट की एक बांह से खून जाता है एक एफरेसिस मशीन में स्टेम सेल्स को यहां पर अलग किया जाता है और बचा हुआ खून दूसरी बाह से वापस दिया जाता है कीमोथेरेपी से कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है और इसके बाद उन स्टेम सेल्स को वापस दिया जाता है कई केसेस में दूसरे डोनर की जरूरत पड़ती है क्योंकि पेशेंट की खुद की बॉडी में बोन मैरो की पर्याप्त मात्रा ही नहीं होती हेल्दी ब्लड सेल्स मिल ही नहीं पाते उतने ऐसे केस में इसे कहा जाता है एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट जिस तरह ब्लड लेने के लिए डोनर के साथ आपका ब्लड ग्रुप मैच करना जरूरी है इसी तरह स्टेम सेल्स लेने के लिए मैच करना जरूरी है आपका एचएलए टाइपिंग इसका फुल फॉर्म होता है ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन टाइपिंग ज्यादा डिटेल्स में जाए बिना ये जान लीजिए कि एचएलए इम्यून सिस्टम का एक इंपॉर्टेंट हिस्सा होता है आपके भाई या बहन के साथ आपका एचएलए टाइपिंग परफेक्टली मैच करें इसकी प्रोबेबिलिटी 25 पर होती है आपके पेरेंट्स के साथ ये कभी मैच नहीं कर सकता क्योंकि एक हिस्सा आपके एक साइड के पेरेंट से आता है दूसरा हिस्सा दूसरी साइड के पेरेंट्स तो अगर भाई-बहन के साथ कोई मैच ना निकले तो किसी अनरिलेटेड इंसान से आपको एचएलए टाइप मैच कराना होता है और यह परफेक्ट मैच होने का चांस बहुत-बहुत कम हो जाता है 1 लाख में से एक दुनिया में हर 1 लाख लोगों में से एक ही इंसान ऐसा मिलेगा जिसके साथ आपका एचएलए टाइप मैच कर रहा हो कैसे ढूंढे जाए मैचिंग डोनर्स ऐसे केस में यहां रोल सेल्स दोस्तों हमारे बोन मैरो के अलावा हमारे पेरिफेरल ब्लड में भी पाए जाते हैं यानी कि वो खून जो हमारे हार्ट आर्टरी वस और कैपिलरीज में दौड़ता है स्टेम सेल डोनेशन सुनने में अपने आप में बहुत ही भारी भरकम शब्द लगता है लेकिन ये एक्चुअली में सिर्फ तीन से चार घंटे का बड़ा सिंपल प्रोसीजर होता है स्टेम सेल्स डोनेट करने के लिए आपको बस आपके नजदीकी केंद्र में जाना है और आगे की जो बाकी की प्रक्रिया होती है वो ब्लड प्लेटलेट डोनेशन की तरह एकदम सिंपल होती है बस एक फर्क है जब आपका खून आपके हाथ से निकाला जाता है तो उस खून को पहले एक मशीन में भेजा जाता है जहां पर स्टेम सेल्स को अलग किया जाता है और फिर वही खून शरीर में आपके वापस भेज दिया जाता है बेसिकली आपके ब्लड से सिर्फ स्टेम सेल्स निकाले जाते हैं और जो बाकी खून होता है वो वापस आपकी बॉडी में आ जाता है इस प्रोसेस को पीबीएससी कहा जाता है पेरिफेरल ब्लड स्टेम सेल मेथड और जैसा हम जानते ही हैं स्टेम सेल्स खुद से रीजन कर सकते हैं तो कुछ ही टाइम बाद बॉडी आराम से स्टेम सेल्स को रीजन कर भी लेती है कुछ आखिर क्या कारण है कि कुछ सेल्स में इस तरीके का जीन डैमेज हो जाता है तीन मेन कारण बताए जाते हैं सबसे पहला है इन्हेरिटेंस ही पैदा हुए हो ऐसा यूजुअली तब होता है जब आपने अपने पेरेंट से इस डैमेज्ड जीन को इन्हेरिटेंस पर ये मूटेड जीन डेवलप हो गया दुनिया में टोटल कैंसर केसेस में से लगभग 5 से 10 पर कैंसर केसेस इन्हेरिटेंस की वजह से होते हैं यानी कि बचपन से ही ये जीनस आपके अंदर होती है दूसरा कारण है एज आपकी उम्र के साथ-साथ जींस वेयर आउट होने लग जाती हैं इसलिए ज्यादा उम्र के लोगों में ज्यादा कैंसर के केसेस देखने को मिलते हैं कैंसर रिसर्च यूके की इस रिपोर्ट को देखिए 2017 से 2019 तक जो कैंसर के केसेस देखे गए उनमें से 90 पर केसेस 50 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में थे उम्र के हिसाब से 1 लाख लोगों में से कितने लोगों को कैंसर होगा ये इंसीडेंस भी आप इस ग्राफ में देख सकते हैं कि कैसे कर्व ऊपर जा रहा है और मैक्सिमम इं सिडेंस 85 टू 89 इयर्स वाले इंटरवल में देखने को मिलता है यानी 80 90 साल की उम्र में सबसे ज्यादा चांस होता है कैंसर होने का ऐसा इसलिए है क्योंकि जीन डैमेज समय के साथ-साथ बिल्ड अप होता रहा है या तो आपकी यंग एज में ही डेथ हो गई डेंगी या मलेरिया की वजह से या फिर आप इतनी लंबी उम्र जिए कि आप एक कैंसर पेशेंट बन गए यू इदर डाय फ्रॉम मलेरिया और यू लिव लॉन्ग इनफ टू सी योरसेल्फ बिकम कैंसर पेशेंट इसलिए कैंसर की बीमारी डेवलप्ड देशों में ज्यादा देखने को मिलती है डेवलपिंग के कंपैरिजन में क्योंकि डेवलप्ड देशों में बाकी और बीमारियां कम होती है

लोग ज्यादा लंबी उम्र जीते हैं और लोग अगर ज्यादा लंबी उम्र जी रहे हैं तो जीन डैमेज का रिस्क उतना ही ज्यादा बढ़ता चला जाता है तो अफसोस की बात यह है कि जो दोनों कारण मैंने आपको अभी तक बताए इन दोनों कारण में आप कुछ कर नहीं सकते जो जींस इन्हेरिटेंस बदल नहीं सकते और जो उम्र आपकी बढ़ रही है वो बढ़ते ही रहेगी उसे आप रोक नहीं सकते लेकिन जो तीसरा कारण है इसको लेकर हम बहुत कुछ कर सकते हैं यह है लाइफ स्टाइल कॉसेस अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के द्वारा की गई 2017 की की इस एनालिसिस को देखिए अच्छी खबर यह है कि करीब 42 पर कैंसर के केसेस प्रीवेंटेबल हैं लाइफस्टाइल फैक्टर्स की वजह से होते हैं करीबन 19 पर कैंसर के केसेस जो दुनिया में लोगों को होते हैं वो सिर्फ स्मोकिंग की वजह से होते हैं 5.6 पर अल्कोहल की वजह से होते हैं तो यह बात तो बड़ी क्लियर है कि सबसे पहले अल्कोहल और स्मोकिंग बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए दूसरा अगर आप ओवरवेट है या ओबेस है तो अपने वेट को सही जन में लाइए क्योंकि ये देखिए 7.8 पर कैंसर के केसेस होते हैं ब सिटी की वजह से अपना वजन कैसे कम करना है इसको लेकर अगर आप डिटेल साइंटिफिक गाइड चाहते हैं तो मैंने यह वीडियो बनाया है बहुत ही डिटेल स्टेप बाय स्टेप जिसमें बताया है कि एगजैक्टली ये कैसे किया जा सकता है तीसरा यूवी रेडिएशन करीब 4.7 पर केसेस यूवी रेडिएशन की वजह से होते हैं सूरज की हार्मफुल अल्ट्रावायलेट रेज दोपहर के समय अपनी वेदर ऐप में देखा करो कि यूवी इंडेक्स कितना है अगर यूवी इंडेक्स फाइव से ऊपर है तो अल्ट्रावायलेट रेज बहुत डैमेजिंग हो सकती है आपकी स्किन के लिए वही अल्ट्रावायलेट रेज आपके स्किन को प ट्रेट करके आपके डीएनए को डैमेज करती हैं जींस डैमेज करती हैं जिसकी वजह से स्किन कैंसर होता है बार-बार सन की वजह से टैन होना या सन बर्न होना इसी का ही एक इंडिकेशन है और यह बड़ी खतरनाक चीज होती है

इसे अवॉइड करने के दो तरीके हैं पहला तो यह कि सुबह के 10 बजे से लेकर दोपहर के 4:00 बजे तक बाहर मत निकलो धूप में ये वो समय है जब यूवी इंडेक्स सबसे ज्यादा होता है स्पेशली समर्स के समय में विंटर्स में इतना ज्यादा नहीं होता तो सुबह या शाम में ही धूप के मजे लिया करो और दूसरा यह कि अगर आपको एक्चुअली में इस टाइम के बीच में बाहर निकलना है धूप में तो सनस्क्रीन लगानी बहुत जरूरी चीज है चौथा करीब 5 पर कैंसर केसेस होते हैं फिजिकल इन एक्टिविटी और पुअर डाइट की वजह से अपनी डाइट से प्रोसेस्ड खाने को और एडेड शुगर को बाहर निकालो और जितने ज्यादा अलग-अलग प्रकार के अलग-अलग रंग के वेजिटेबल्स फ्रूट्स बेरीज नट्स सीड्स हर्ब्स होल ग्रेंस बींस मिल्क एग ये सब शामिल करो जो पैकेज खाना होता है उसमें अक्सर ऐसे केमिकल्स डले होते हैं जो कार्सिनोजेनिक होते हैं जिनसे कैंसर होने का रिस्क बढ़ता है लेकिन अक्सर ये चीजें काफी टाइम बाद ही पता चलती हैं जैसे कि ब्रेड वाले वीडियो में मैंने बताया था कि पोटैशियम ब्रोमेट एक बड़ा ही फेमस एडिटर जो ब्रेड में डाला जाता था बहुत समय तक उसे इस्तेमाल किया जाता था दुनिया भर में और सिर्फ पिछले 10-20 सालों में ही पता चला कि एक्चुअली में तो ये कार्सिनोजेनिक है ब्रेड बनाने वाली कंपनीज ने कहा कि अब से हम ये नहीं डालेंगे लेकिन अभी तक जो आपने खाया उसका क्या तमिलनाडु और गोवा के बाद अब कर्नाटका ने आर्टिफिशियल फूड कलरिंग पर बैन लगाया है देखा गया कि कबाब में सनसेट येलो और कार्मो सन कलरिंग डाली जा रही थी सनसेट येलो एसीएफ एक ऐसा केमिकल है जिसका अगर यूरोपियन यूनियन में इस्तेमाल किया गया तो लेबल लगाना पड़ता है उस पैकेट पर कि बच्चों से रिलेटेड यहां पर हेल्थ वार्निंग है सीएसपीआई की वेबसाइट पर आपको ऐसे केमिकल्स की लंबी लिस्ट मिल जाएगी जो पहले परमिटेड थे लेकिन उसके बाद यूएसए के द्वारा बैन कर दिए गए जैसे 2018 में स्टायरी मायरसन बेंजोफेनोने चुर खाना खाओ फ्रेश खाना खाओ और लोकल खाओ फिजिकल एक्टिविटी एक्टिव लाइफस्टाइल रखना काफी जरूरी है रेगुलर एक्सरसाइज करते रहो हो जिसमें स्ट्रेचिंग कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग तीनों तरीके की एक्सरसाइज होनी चाहिए स्ट्रेचिंग बड़ा ऑब् वियस है जिसमें आप मसल्स को स्ट्रेच करते हो कार्डियो वो एक्सरसाइज जैसे कि रनिंग या स्विमिंग जहां पर आपकी हार्ट बीट ऊपर होती है और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जहां पर वेट लिफ्टिंग की जाती है फिर आता है एनवायरमेंटल एक्सपोजर का एक एंगल एयर पोल्यूशन और कई सारे पेस्टिसाइड्स जिनका इस्तेमाल किया जाता है जो कार्सिनोजेंस होते हैं आपके वर्किंग एनवायरमेंट में कहीं बेंजीन एस्बेस्टोसिस निक इनका तो इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है क्योंकि इंटरने नेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अकॉर्डिंग ये सारे के सारे ह्यूमन कार्सिनोजेंस की कैटेगरी में आते हैं पेस्टिसाइड्स और फर्टिलाइजर्स के एक्सपोजर से कैंसर हो सकता है और एयर पोल्यूशन तो आपके हाथ में नहीं है लेकिन अपना एक्सपोजर जितना हो सके उतना कम करना चाहिए फिर आता है दोस्तों एक बहुत बड़ा फैक्टर जो डेवलपिंग कंट्रीज में स्पेशली 20 से 25 पर कैंसर केसेस के पीछे रिस्पांसिबल है और ये कारण है वायरस सही सुना आपने अलग-अलग प्रकार के वायरस भी कैंसर का कारण बन सकते हैं जैसे कि हे टाइटिस बी का वायरस हेपेटाइटिस सी का वायरस एचआईवी वायरस ह्यूमन हर्पीज वायरस ह्यूमन टी लिंफोट्रॉपिक वायरस मेरिकल सेल पॉलिमा वायरस एचपीवी वायरस इनसे बचने का एक बड़ा सिंपल सलूशन है जो वैक्सीनस डॉक्टर के द्वारा रिकमेंड की जाती है उन्हें लेना जरूरी है हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन लगवाई है हेपेटाइटिस सी की वैक्सीन लगवाई है अक्सर ये वैक्सीनस बचपन में ही लग जाती हैं लोगों को लेकिन एचपीवी एक नई वैक्सीन आई है एचपीवी वायरस से प्रोटेक्ट करने के लिए ये लगवानी जरूरी है तो इन सब बातों का ध्यान रखिए दोस्तों अगर आप आप इन पॉइंट्स का ध्यान रखेंगे तो आपका और आपकी फैमिली का कैंसर रिस्क बहुत हद तक कम हो जाएगा दूसरा ब्लड कैंसर के मरीजों को बचाने का तरीका तो मैंने आपको बताया आज ही जाके DKMS में रजिस्टर कीजिए ऐसा करने से आप लाखों ब्लड कैंसर के मरीजों को जीने की उम्मीद दे सकते हैं और बहुत-बहुत धन्यवाद 

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